PCOD ka Ayurvedic Upchar
पीसीओडी कैसे ठीक करें?- PCOD in Hindi
आजकल महिलाओं में हर्मोनल डिस्बैलेंस की समस्या तेजी से पनप रही है जिसके कारण कई तरीके की बीमारियां होने लगी है। जिनका पता देर से चलता है और समस्या बढ़ती जाती है और इलाज करने में उतना ही फिर समय लगता है। खराब जीवनशाली, आहार और सही नींद न लेने पर हर्मोन प्रणाली ठीक से काम करने में असफल हो जाती है।
जिसके कारण ज्यादातर महिलाओं को पॉलिसिस्टिक ओवेरियन डिसऑर्डर (pcod in hindi) की समस्या से जुझ रही है। आकड़ों के मुताबिक, यह समस्या इतनी आम हो गई है कि 10 में से 1 महिला का शिकार हो रही है।
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आयुर्वेद के अनुसार, PCOD एक विकार है जो शरीर में वात, पित्त और कफ जैसे त्रिदोष को प्रभावित करता है। इन तीनों दोषों की बात करें तो वात के बिगड़ने से मासिक धर्म कम आते है, अनियमित हो सकता है और बैहद दर्दनाक भी हो सकता है। पित्त के बिगड़ने से ज्यादा बाल झड़ते है, मासिक धर्म के समय दर्द हो सकता है और चेहरे पर मुहांसे आते है।
जबकि कफ के बिगड़ने से वजन बढ़ना, डायबिटीज का खतरा होना, प्रजनन क्षमता का कम होना, चेहरे, छाती और पीठ पर ज्यादा बाल उगते है। जिसे ठीक करना बेहद जरुरी है वरना आगे चलकर ये अन्य बीमारी रुप लें सकता है। आज इस आर्टिकल में हम बात करेंगे की पीसीओडी क्या है और pcod ka ayurvedic upchar कैसे किया जाता है।
पीसीओडी क्या है- PCOD kya hai
यह समस्या जेनेटिक कारणों से भी हो सकती है। पहले ये समस्या 30 साल से 35 साल से ज्यादा की उम्र में महिलाओं में पाई जाती है। लेकिन अब यह समस्या 12 साल से 40 साल की उम्र में महिलाओं में भी पाई जाती है।
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पीसीओडी के लक्षण :
की बात करें तो सबसे पहला लक्षण ही आपके अनियमित पीरियड्स होते है। फिर धीरे-धीरे पता चलता है कि कई और लक्षण भी है जो इसका सकेंत दे सकते हैं-
बालों का झरना
चेहरे, पीठ और छाती पर बालों का आना
मुंहासे का आना
सिर दर्द रहना
थकान रहना
इपीरियड्स का देरी से आना
नींद की समस्या आना
मूड स्विंग रहना
त्वचा का ज्यादा तैलिया दिखना
वजन का बढ़ना
कंसीव करने में असमर्थ होना
अगर समय पर इसका इलाज नहीं किया गया तो कम उम्र में ही वजन बढ़ना, डायबिटीज की समस्या होना, हाई बीपी, हाई केलेस्ट्राल, हार्ट अटेक और डिप्रेशन का शिकार हो सकती है। और आगे चलकर गर्भधारण करने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
पीसीओडी के लिए आयुर्वेदिक उपचार- PCOD ka Ayurvedic ilaj
पीसीओडी का नाम सुनकर कई महिलाएं घबरा जाती है और उनके मन में यही सवाल आता है कि PCOD ko kaise thik kare, क्या बिना सर्जरी के इसे ठीक किया जा सकता है और क्या हमेशा के लिए दवाइयों का सेवन करते ही रहना होगा। आपके इन्हीं सब सवालों का जबाव देते हुए बता दें कि टेड्रशिनल मेडिसन के अलावा आयुर्वेद में पीसीओडी इलाज (pcod treatment in hindi) नेचुरल तरीके से किया जाता है।
आयुर्वेद की प्रचीन पद्धति पंचकर्मा से पीसीओडी को ठीक किया जा सकता है। और अंडों की गुणवत्ता को ठीक करता है साथ ही प्रजनन क्षमता को बढ़ता है। इसके अलावा आपको कुछ आयुर्वेदिक और घरेलू उपाय बताएंगे जिससे इस समस्या से निजात पा सकते है-
आयुर्वेद आहार-विहार पर बहुत ध्यान देता है। आधी से ज्यादा बीमारी का मुख्य कारण हमारा गलत आहार है। इसे ठीक करने के लिए दूध का सेवन करें, जिससे शरीर में कैल्शियम की कमी पूरी होगी।
फलों में तरबूज, खरबूजा, लीची आदि जैसे मौसमी फलों का सेवन करें जिससे आपके शरीर में विटामिन सी की कमी पूरी हो। इस समस्या में बेमौसमी फलों को सेवन करने से बचे।
दालचीनी के पाउडर को गर्म पानी में मिलाकर सेवन कर सकते है क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में थाइमीन, फॉस्फोरस, प्रोटीन, सोडियम, विटामिन, कैल्शियम, मैंग्नीज, पोटेशियम, निआसीन, कार्बोहाइडे्ट आदि पाए जाते हैं जो वजन को कम करने में मददगार है। दालचीनी इंसुलिन के स्तर को भी बढ़ने से रोकती है।
एक बर्तन में एक गिलास पानी गर्म करें 6-7 पुदीने की पत्तियों को डालकर दस मिनट तक पकाएं। इसे चाय की तरह कुछ महीनों तक पीएं जिससे टेस्टोस्टेरोन हर्मोन का स्तर कम हो जाता है।
इस समस्या में वजन तेजी से बढ़ता है इसलिए मेथी का सेवन करें। मेथी शरीर में ग्लूकोज के चयापचय (metabolism) को बढ़ावा देती है और इंसुलिन को बढ़ने से रोकती है। रात में मेथी को पानी में भिगो दें या खाली पेट एक चम्मच भीगे हुए बीजों को शहद के साथ लें सकते है।
अपने भोजन करने का नियमित समय बनाएं, क्योंकि थोड़ी- थोड़ी देर में खाने से आपका खाना नहीं पाचता है। इसलिए दोबारा खाना न खाएं और प्रक्रिया का पालन कर पाचन तंत्र स्वस्थ बनाएं।
डाइट में हरी सब्जियों और बीज में अलसी, कद्दू, सुरजमुखी और तिल को शामिल करें जिससे आयरन, पोटेशियम और ओमेगा-3 की कमी पूरी होगी।
आपको मीठा और तला हुआ भोजन से पूरी तरह से परहेज करना चाहिए। सामान्य तौर पर, उच्च कैलोरी और प्रोसेस्ड चीनी से तैयार किए जाने वाले पदार्थों को खाने से वजन बढ़ने के साथ ही सूजन की स्थिति भी पैदा होने लगती है। जब भी आपका मीठा खाने का मन हो तो एक सेब खाएं।
तुलसी एक आयुर्वेद औषधी है जो गुणों से भरा है। यह ना सिर्फ इम्यूनिटी को मजबूत करती है बल्कि कई बीमारियों का इलाज भी करती है। इसमेें एंटी-एन्ड्रोजेनिक गुुण है जो टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के स्तर को कम करता है। आप 8 से 10 तुलसी के पत्तियों का काढ़ा बनाकर पी सकते है।
खानपान के अलावा आप योग अपना सकते है जो रक्तचाप और हृदय गति को नियंत्रित रखने में मदद करता है। शरीर में तनाव की समस्या कम होती है। आपकी एकाग्रता में सुधार होता है। साथ ही बेहतर नींद प्राप्त करने में मदद मिलती है। तो जनिए कैसे योगासान फर्टिलिटी रेट को बूस्ट करने में मदद करता है। इनमें निम्नलिखित योग शामिल है-
प्राणायाम: नियमित रुप से प्राणायाम करना जरुरी है, जिससे शरीर के सभी हिस्सों मेे ऑक्सिजन की भरपूर मात्रा रहती है।
कपालभाति: यह आसन आपके चयापचय को बढ़ाता है और आपके वजन को कम करने में मदद करता है। इससे आपके पेट की मासपेशियां सक्रिय होती है, साथ ही पाचन क्रिया को ठीक रखता है।
तितली आसन: इस समस्या में महिलाओं के लिए यह आसान काफी लाभदायक होता है। यह आसन प्रजनन अंगो के साथ-साथ पैरों और जंघों को मजबूत करता है। साथ ही मानसिक स्वास्थ को भी अच्छा रखता है।
भुजंगासन: पीसीओडी में भुजंगासन काफी फायदेमंद साबित होता है। बारी बारी अभ्यास करके प्रजनन प्रणाली को मजबूत करता है। पीरियड्स की अनियमिता को भी दूर करता है।
इस लेख की जानकारी हमें डॉक्टर चंचल शर्मा द्वारा दी गई है। इस विषय से जुड़ी या अन्य पीसीओएस, ट्यूब ब्लॉकेज, हाइड्रोसालपिनक्स उपचार पर ज्यादा जानकारी चाहते हैं। हमारे डॉक्टर चंचल की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाए या हमसे +91 9811773770 संपर्क करें।
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